चार्ली चैपलिन की फिल्म 'ग्रेट डिक्टेटर' के अंत में तानाशाह के हमशक्ल एक नाई, हेंकल के द्वारा दिया गया यह अद्भुत भाषण... हिंदी में... आज उनके जन्मदिन पर।
अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद : शम्पा शाह
"माफ़ कीजिए, पर मैं सम्राट नहीं बनना चाहता। ये मेरा काम नहीं है। मैं किसी पर हुकूमत नहीं चलाना चाहता, किसी पर जीत हासिल नहीं करना चाहता। यदि संभव हो, तो मैं सबकी मदद करना चाहूंगा - यहूदी, गैर ईसाई, काले और गोरे इंसान - सबकी । हम सब एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं। हम सब एक दूसरे की बदहाली में नहीं, एक दूसरे की ख़ुशी के दायरे में रहना चाहते हैं। हम एक दूसरे से नफ़रत या घृणा नहीं करना चाहते। इस संसार में सबके लिए जगह है। और हमारी भली धरती सबके लिए पर्याप्त पैदा कर सकती है। जीवन की राह सुंदर और स्वतंत्र हो सकती है, लेकिन, हम रास्ता भटक गए हैं...
लालच ने मनुष्य की आत्मा को डस लिया है - दुनिया को नफ़रत की कटीली बागड़ से घेर दिया है - हमें पीड़ा और ख़ून ख़राबे के दलदल में धकेल दिया है। हमने गति का आविष्कार किया, पर खुद को बंद कर लिया। उत्पादन बढ़ाने वाली मशीनों ने हमें अभावग्रस्त बना दिया है। हमारे ज्ञान ने हमें मानव द्वेशी बनाया है। हमारी चतुराई ने हमें कठोर और हृदयहीन बनाया है। हम बहुत अधिक सोचते हैं और बहुत कम महसूस करते हैं। हमें मशीनों से अधिक मानवीयता की ज़रूरत है। चतुराई की बजाय करुणा और सहानुभूति की ज़रूरत है। इन गुणों के अभाव में जीवन हिंसा से भर उठेगा और हम सब कुछ गवां देंगे....
हवाई जहाज और रेडियो ने हमारे बीच दूरी को मिटाया है। इनका आविष्कार ही हमारे भीतर की अच्छाई - हमारे भीतर के विश्व भाई चारे - हमारे भीतर निहित एकता को पुकार लगता है। अभी इस वक्त भी मेरी आवाज़, दुनिया भर के करोड़ों हताश स्त्री, पुरुषों, बच्चों तक पहुंच रही होगी - जो ऐसे तंत्र के शिकंजे में हैं जो बेगुनाहों को क़ैद कर यातनाएं देता है।
जिन लोगों तक मेरी आवाज़ पहुंच रही है, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि निराश मत हो। यह जो दुख हम पर आन पड़ा है,यह अपार लालच की छाया है - उन लोगों की कडवाहट का नतीजा जो मनुष्यता के उत्थान से डरते हैं। मनुष्य के भीतर की नफ़रत मिट जाएगी और तानाशाहों का अंत होगा, और उन्होंने जो ताकत लोगों से छीन ली है, वो फिर से लोगों के हाथ में होगी। और जब तक लोग जान देते रहेंगे, स्वाधीनता कभी मिट नहीं सकेगी...
सैनिकों, खुद को क्रूर के हाथों में मत सौंप दो - वे जो तुमसे घृणा करते हैं - तुम्हें गुलाम बनाते हैं - जो तुम्हारी जिन्दगी को अनुशासित करना चाहते हैं - जो तुम्हें बताते हैं कि तुम्हें क्या करना है - क्या सोचना है - और क्या महसूस करना है! जो तुम्हें रेवड़ की तरह हांकते - खिलाते हैं, जो तुम्हें गोले बारूद की खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं। खुद को इन नकली - मशीनी लोगों को मत सौंप दो, जिनके दिल - दिमाग भी मशीनी हैं। तुम मशीन नहीं हो! तुम रेवड़ नहीं हो! तुम मनुष्य हो ! तुम्हारे दिल में मनुष्यता के लिए प्रेम है ! तुम नफ़रत नहीं करते ! जिन्होंने प्यार कभी जाना ही नहीं सिर्फ वे नफरत करते हैं - अस्वाभाविक लोग। सिपाहियों, गुलामी के लिए नहीं - स्वाधीनता के लिए लड़ो।
सेंट लूक के सत्रहवे अध्याय में लिखा है कि ईश्वर का साम्राज्य मनुष्य के भीतर होता है, किसी एक या किसी ख़ास समूह के मनुष्य के भीतर नहीं, बल्कि हर मनुष्य के भीतर ! तुम्हारे भीतर ! तुम्हारे भीतर ही वो शक्ति है जो इस जीवन को स्वतंत्र और सुंदर बना सकती है - तुम ही इसे एक अद्भुत रोमांच से भरा जीवन बना सकते हो। इसलिए लोकतंत्र के नाम पर - आओ हम इस शक्ति को जगाएं - हम एक जुट हो जाएं। आओ मिल कर एक नई दुनिया बनाए - एक मानवीय संसार जिसमें हर मनुष्य को अपना काम करने का अवसर मिलता हो - जिसमें युवाओं के लिए भविष्य और बुजुर्गों के लिए निश्चिंतता हो।
इन्हीं चीजों का आश्वासन दे कर ही ये आततायी सत्ता में आए थे। लेकिन ये सब के सब झूठ बोलते हैं! ये अपना वादा पूरा नहीं करते ! ये कभी इसे पूरा नहीं करेंगे ! तानाशाह अपने को स्वतंत्र रख दूसरे तमाम लोगों को गुलाम बनाता है। अब हमें खुद इस वादे को पूरा करने के लिए आगे आना होगा। आओ हम इस दुनिया को मुक्त करने के लिए लड़ाई लड़ें - राष्ट्रीय सीमाओं को मिटा दें - लालच, असहिष्णुता को मिटा दें। आओ हम विवेक पर आधारित एक दुनिया रचने की लड़ाई लड़ें जहां विज्ञान और तरक्की मनुष्य की खुशियों में इज़ाफ़ा करती हों। सैनिकों, लोकतंत्र के नाम पर आओ हम एकजुट हो जाएं!
हन्ना, क्या तुम मुझे सुन रही हो ? तुम जहां कहीं भी हो हन्ना, ऊपर देखो । बादल छंट रहे हैं। उनके पीछे से सूरज निकल रहा है ! हम अंधकार से उजाले में आ रहे हैं - हम एक नई दुनिया में कदम रख रहे हैं - एक अधिक करुणामय संसार, जहां लोग नफरत, लालच और क्रूरता से ऊपर उठेंगे। ऊपर देखो, हन्ना ! मनुष्य की आत्मा को पंख मिल गए हैं और अंततः वह उड़ान भर रहा है। वह इन्द्रधनुष की ओर उड़ रहा है - उजास की उम्मीद की लिए, भविष्य की ओर..
वह उज्ज्वल भविष्य जो तुम्हारा है, मेरा है, हम सबका है।
ऊपर देखो, हन्ना... ऊपर देखो !"
-Shampa Shah
(यह अनुवाद आज शम्पा शाह द्वारा।)
अनिरुद्ध उमट की दीवार से।